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IPL में जितने रन, उतने पौधे! जयपुर से गूंजा पर्यावरण बचाने का नया मंत्र

अब रन नहीं सिर्फ रोमांच देंगे... देंगे हर रन के साथ एक हरियाली का तोहफा

जयपुर के कनोडिया महिला महाविद्यालय में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जहाँ सतत विकास लक्ष्य पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी में पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और सामूहिक जिम्मेदारी जैसे विषयों पर जोरदार चर्चा हुई। इस संगोष्ठी का आयोजन राजस्थान वानिकी एवं वन्यजीव प्रशिक्षण संस्थान और कनोडिया महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शैलजा देवल थीं, जिन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्य सिर्फ कागजों की बात नहीं, बल्कि यह हमारे आने वाले भविष्य की दिशा तय करने वाला एक वैश्विक संकल्प है। उन्होंने बताया कि 17 लक्ष्यों के माध्यम से हम गरीबी, भुखमरी, जलवायु परिवर्तन और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दों से निपट सकते हैं, बशर्ते हम मिलकर और समय रहते काम करें।

कार्यक्रम में सबसे ज़्यादा चर्चा में रही युवा मामले और खेल विभाग के सचिव डॉ. नीरज के. पवन की घोषणा, जिसमें उन्होंने कहा कि इस बार का आईपीएल ग्रीन होगा। यानी जयपुर में होने वाले आईपीएल मैचों में जितने रन बनेंगे, उतने पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो भी सेलिब्रिटी आएंगे, उनसे “एक पेड़ माँ के नाम” के तहत पौधे लगवाए जाएंगे। यह सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की पहल नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और भागीदारी को भी दर्शाता है।

महाविद्यालय निदेशक डॉ. रश्मि चतुर्वेदी और प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने भी मंच से यह संदेश दिया कि अगर हम वास्तव में प्रकृति से तालमेल बिठाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें अपने मन के लालच पर नियंत्रण पाना होगा। उन्होंने छात्रों और युवाओं से आह्वान किया कि वे इस वैश्विक मुहिम में सक्रिय भागीदार बनें और अपने व्यवहार में छोटे-छोटे बदलाव लाकर बड़े असर पैदा करें।

कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थी, शिक्षाविद, वन विभाग के अधिकारी और विषय विशेषज्ञों ने मिलकर यह संदेश दिया कि अगर हम सभी सतत विकास के इन 17 लक्ष्यों को अपने जीवन का हिस्सा बना लें, तो हम न केवल आने वाली पीढ़ी को एक सुरक्षित भविष्य दे सकते हैं, बल्कि अपने समाज और पर्यावरण को भी स्थायी रूप से सशक्त बना सकते हैं।

यह संगोष्ठी एक बार फिर यह साबित कर गई कि जब शिक्षा, नीति और समाज एक मंच पर आते हैं, तो बदलाव की बुनियाद मजबूत होती है। और जब बात प्रकृति और मानवता के सामंजस्य की हो, तो हर छोटा प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकता है।

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