मध्यप्रदेश के धार जिले में एक ऐतिहासिक और रोमांचक पहल की जा रही है, जहां जल्द ही डायनोसोर नेशनल पार्क और सरदारपुर वन्यजीव अभ्यारण्य की स्थापना की जाएगी।

परियोजना का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय समुदायों के विकास को सुनिश्चित करना है। संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसमें वन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी भी शामिल रहे।
धार जिले की बाग तहसील में बनने वाला डायनोसोर नेशनल पार्क अपनी तरह का अनोखा स्थान होगा, जहां प्राचीन जीवाश्मों से जुड़े अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा। यह पार्क बोरकुरी, रिसावाला, बयादीपुरा (पाडलिया) और गंगकुई (जामनियापुरा) गांवों के बीच स्थित होगा और इसे इको सेंसेटिव ज़ोन में शामिल किया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। पार्क के चारों ओर घने जंगल होंगे, जिनमें शीशम, नीम, आंवला सहित औषधीय पेड़-पौधों की भरमार होगी और यहां सियार, लोमड़ी जैसे वन्यजीव भी पाए जाएंगे।
यह नेशनल पार्क भोपाल और मेघनगर रोड के बीच स्थित होगा, जिससे इसे बड़ी संख्या में पर्यटक आसानी से आकर देख सकेंगे। पार्क मेघनगर रेलवे स्टेशन से 95 किमी, इंदौर रेलवे स्टेशन से 152 किमी और भोपाल रेलवे स्टेशन से 350 किमी की दूरी पर स्थित होगा। इसके आसपास बड़केश्वर महादेव मंदिर, ऐतिहासिक बाग गुफाएं और किले जैसे आकर्षण भी होंगे, जो इसे पर्यटन के लिए और भी खास बनाएंगे।
फिलहाल, इस क्षेत्र में हर साल 15,000 से अधिक पर्यटक आते हैं, लेकिन डायनोसोर पार्क बनने के बाद यह संख्या कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। अक्टूबर से दिसंबर के बीच यहां पर्यटकों की संख्या में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा। यह परियोजना आदिवासी समुदायों के विकास को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। पार्क से न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखने पर जोर दिया जाएगा, बल्कि स्थानीय आदिवासी संस्कृति, त्यौहारों और परंपराओं का भी सम्मान किया जाएगा।
इस परियोजना से बाग प्रिंट उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। सरकार की योजना है कि इस पार्क के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलें और वे प्रकृति संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
बैठक में सरदारपुर वन्यजीव अभ्यारण्य को लेकर भी चर्चा हुई, जिसे इको सेंसेटिव ज़ोन में शामिल किया जाएगा। यह अभ्यारण्य खरमोर पक्षी, सियार, लोमड़ी, बंदर, लंगूर सहित कई दुर्लभ पक्षियों और वन्यजीवों का घर बनेगा। यहां टीक, बबूल, पलाश, अंजन जैसे कई महत्वपूर्ण पेड़-पौधे भी होंगे, जिससे क्षेत्र की जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकेगा।
सरदारपुर वन्यजीव अभ्यारण्य विशेष रूप से मालवा और निमाड़ क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। यह स्थान जूलॉजी के विद्यार्थियों के लिए अध्ययन और अनुसंधान का एक बेहतरीन केंद्र बन सकता है। यहां पर्यावरण संरक्षण के लिए कई विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे और स्थानीय लोगों को वन्यजीव संरक्षण से जोड़ने की योजना बनाई जाएगी।
संभागायुक्त दीपक सिंह ने स्पष्ट किया कि डायनोसोर पार्क और सरदारपुर अभ्यारण्य को विकसित करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। आदिवासी समुदायों के अधिकारों का पूरी तरह से सम्मान किया जाएगा और पार्क के आसपास ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा, जो प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखें।
सरकार की यह योजना पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास को एक साथ जोड़ने का प्रयास है। इससे न केवल धार जिले को एक नया पहचान मिलेगी, बल्कि राज्य के पर्यटन और जैव विविधता को भी मजबूती मिलेगी।
धार जिले में डायनोसोर नेशनल पार्क और सरदारपुर वन्यजीव अभ्यारण्य की यह परियोजना न केवल राजस्थान और मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश के पर्यावरण और पर्यटन क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम साबित होगी। आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र एक प्रमुख पर्यटन और शोध केंद्र के रूप में उभरेगा। इसके साथ ही, यह परियोजना आदिवासी समुदायों के उत्थान और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।