
सरिस्का टाइगर रिजर्व में जंगल की आग को नियंत्रित करने और इससे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए वन विभाग ने एक बड़ी पहल की है। हाल के वर्षों में सरिस्का के जंगलों में वन अग्नि की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि वन्यजीवों का जीवन भी खतरे में पड़ रहा है। इसी को देखते हुए सरिस्का वन विभाग ने सात मार्च दो हजार पच्चीस को एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें वन कर्मियों को अत्याधुनिक अग्निशमन तकनीकों से प्रशिक्षित किया गया।
वन विभाग के उप वन संरक्षक के नेतृत्व में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन संरक्षक, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वनपाल, सहायक वनपाल और अन्य वन कर्मियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आग से निपटने के लिए इस्तेमाल होने वाले हाई-टेक उपकरणों का प्रदर्शन किया गया, ताकि वन कर्मी किसी भी आपात स्थिति में तेजी से और प्रभावी तरीके से काम कर सकें। इस प्रशिक्षण में विशेष रूप से फायर एक्सटिंग्विशर, वाटर स्प्रेयर, काउंटर फिल मेथड और फायर बीटर जैसे उपकरणों का उपयोग करना सिखाया गया।
सरिस्का के जंगलों में आग लगने की घटनाएं कई बार इतनी तेजी से फैलती हैं कि उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है। गर्मी के मौसम में सूखी घास और तेज़ हवा आग को और भड़काने का काम करती है, जिससे जंगलों को बड़ा नुकसान होता है। इस समस्या से निपटने के लिए वन विभाग ने आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। फायर एक्सटिंग्विशर को उन इलाकों में इस्तेमाल किया जाएगा, जहां पानी उपलब्ध नहीं होता और आग तेजी से फैल रही होती है। वाटर स्प्रेयर का उपयोग उन क्षेत्रों में किया जाएगा जहां पानी की मदद से आग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। काउंटर फिल मेथड एक अनूठी तकनीक है, जिसमें नियंत्रित रूप से आग लगाकर बड़ी आग को फैलने से पहले ही रोका जाता है। फायर बीटर का उपयोग जलती हुई वनस्पति को दबाकर आग बुझाने के लिए किया जाता है, जिससे आग तेजी से फैलने से रोकी जा सकती है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान वन अधिकारियों ने यह भी अध्ययन किया कि जंगल की आग के बाद कौन-कौन सी वनस्पतियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं और कौन सी नई वनस्पतियां विकसित होती हैं। सरिस्का वन अनुसंधान दल द्वारा इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिससे भविष्य में वन संरक्षण की रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। इस रिपोर्ट में यह भी शामिल किया जाएगा कि जंगल की आग को कैसे रोका जाए और किन नए तरीकों से वन्यजीवों और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है।
वन विभाग ने स्थानीय समुदायों से भी सहयोग की अपील की है और स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कोई भी व्यक्ति जंगल में आग लगाते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अक्सर देखा गया है कि जंगल की आग प्राकृतिक कारणों से नहीं, बल्कि इंसानी लापरवाही से लगती है, इसलिए वन विभाग अब इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और अवैध गतिविधियों पर सख्ती बरतने की तैयारी में है।
यह प्रशिक्षण न केवल आग से निपटने की तकनीकों को मजबूत करेगा, बल्कि वन कर्मियों को भविष्य में ऐसी आपदाओं से अधिक कुशलता से निपटने के लिए तैयार करेगा। वन विभाग का यह प्रयास सरिस्का की जैव विविधता को बनाए रखने और जंगलों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। इस अभियान के तहत अब हर वर्ष नियमित अंतराल पर वन कर्मियों के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि जंगल में आग लगने की स्थिति में वे तुरंत एक्शन में आ सकें और नुकसान को कम से कम किया जा सके।
सरिस्का वन विभाग की इस पहल से यह स्पष्ट हो गया है कि अब जंगलों को बचाने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है। इससे न केवल जंगलों को सुरक्षित किया जा सकता है, बल्कि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को भी बचाया जा सकता है। यह प्रशिक्षण भविष्य में जंगलों की सुरक्षा के लिए एक मिसाल बनेगा, जिससे आने वाले समय में और भी प्रभावी वन संरक्षण उपाय अपनाए जा सकेंगे।