झालाना लेपर्ड सफारी, जो अपने दुर्लभ तेंदुओं और समृद्ध जैव विविधता के लिए जानी जाती है, आज विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता अभियान का गवाह बनी।

बायलाइन : सुमित जुनेजा
विशेष संवाददाता, नेचर टाइम्स
सुबह से ही यहां सफारी क्षेत्र के अंदर और बाहरी ट्रैक पर एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब जिप्सी ड्राइवर, स्वयंसेवी संस्थाएं और वन विभाग के अधिकारी एकजुट होकर जंगल को स्वच्छ बनाने के अभियान में जुट गए। प्लास्टिक, पॉलिथीन, खाली बोतलें और अन्य कचरा जो अक्सर शहर से उड़कर जंगलों तक पहुंच जाता है, उसे इकट्ठा कर हटाया गया ताकि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित रखा जा सके।
इस अभियान में कुछ संस्थाओं ने भी अपना सहयोग दिया, जो लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही हैं। सफाई अभियान के बाद यहां एक और खास आयोजन हुआ, जिसमें सेंट एडमंड्स मालवीय नगर स्कूल के बच्चों ने वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक भव्य रैली निकाली। बच्चों ने हाथों में वन्यजीव बचाओ, जंगल बचाओ जैसे संदेशों से भरी तख्तियां ले रखी थीं और पूरे जोश के साथ यह संदेश दे रहे थे कि अगर हमें अपनी पृथ्वी को बचाना है तो हमें वन्यजीवों की रक्षा करनी होगी।
रैली के बाद झालाना सफारी में एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया, जहां सेवानिवृत्त उपवन संरक्षक खेमराज शर्मा ने बच्चों को बताया कि वन्यजीव केवल जंगलों का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि अगर जंगल बचे रहेंगे, तो ही मानव जीवन सुरक्षित रहेगा। इस दौरान वन अधिकारी जितेंद्र सिंह शेखावत ने बच्चों के लिए एक रोचक प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया, जिसमें वन्यजीवों और पर्यावरण से जुड़े सवाल पूछे गए। बच्चों ने इसमें बड़े उत्साह से भाग लिया और नई-नई जानकारियां हासिल कीं।
कार्यक्रम में सेंट एडमंड्स स्कूल की अध्यापिका ममता शर्मा और आयुषी शर्मा भी मौजूद रहीं, जिन्होंने छात्रों को वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक किया। वहीं, वन विभाग की ओर से वनपाल राजेश शर्मा और सहायक वनपाल किशन मीणा ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि किस तरह प्लास्टिक और अन्य प्रदूषण से वन्यजीवों को नुकसान हो रहा है और हमें इसे रोकने के लिए मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।
आज का यह आयोजन सिर्फ एक दिन के लिए नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि वन्यजीव संरक्षण केवल सरकार या वन विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को इस दिशा में कदम उठाने होंगे। अगर हम अपने आसपास सफाई रखें, जंगलों को सुरक्षित रखें और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं, तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा और संतुलित पर्यावरण बचा सकते हैं।