राजस्थानी परंपरा की झलक, महिला सशक्तिकरण का संदेश—जयपुर में मचा रंगों का धमाल
राजस्थान की परंपरा, स्वाद और शिल्प की महक बिखेरता 'क्राफ्ट एंड फूड बाजार'

जयपुर के जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में रंग-बिरंगे उत्सव की शुरुआत हो चुकी है, जहां ‘क्राफ्ट एंड फूड बाजार’ ने प्रदेश की परंपरा, शिल्प और स्वाद को एक ही मंच पर जीवंत कर दिया है। पर्यटन विभाग और राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद यानी राजीविका के संयुक्त प्रयास से शुरू हुए इस आयोजन का शुभारंभ पर्यटन विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ. पुनीता सिंह, संयुक्त निदेशक दलीप सिंह राठौड़ और राजीविका के प्रोजेक्ट मैनेजर श्याम सुंदर शर्मा द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर उन्होंने इस आयोजन को ग्रामीण आजीविका को सशक्त बनाने की दिशा में एक सार्थक कदम बताया।
इस आयोजन में प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आई महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपनी पारंपरिक हस्तशिल्प, स्थानीय खानपान और ग्राम्य उत्पादों से सजी स्टॉलों के माध्यम से न केवल अपनी कला का प्रदर्शन किया, बल्कि आत्मनिर्भरता की मिसाल भी पेश की। दर्शकों ने यहां ब्लू पॉटरी, बंधेज, लाख की चूड़ियां, कठपुतलियां, मेटल क्राफ्ट, कशीदाकारी वस्त्र, मिट्टी और लकड़ी के हस्तनिर्मित उत्पादों के साथ-साथ जैविक शहद, हस्तनिर्मित साबुन, आयुर्वेदिक उत्पाद और पारंपरिक मसालों से बने व्यंजनों का आनंद लिया।
राजस्थान के अलावा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब से आए शिल्पकारों ने अपनी क्षेत्रीय कला और संस्कृति का प्रदर्शन कर इस आयोजन को बहु-सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया है। पूरे शिल्पग्राम को राजस्थानी परंपरा और लोकसंस्कृति के रंग में सजाया गया है, जिसमें लोकनृत्य, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति और लाइव कुकिंग सेशन ने दर्शकों का मन मोह लिया।
यह आयोजन 30 मार्च तक चलेगा और हर शाम जवाहर कला केंद्र की सांस्कृतिक संध्या में लोक कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियाँ होंगी, जो दर्शकों को राजस्थान की कला, संगीत और भावनाओं से जोड़े रखेंगी। यह बाजार न केवल पर्यटन को बढ़ावा देने वाला है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का भी माध्यम बन रहा है। शिल्पग्राम आज सिर्फ एक क्राफ्ट एंड फूड बाजार नहीं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक आत्मा, समृद्ध विरासत और सामाजिक सहभागिता का उत्सव बन चुका है।